Monday, April 9, 2012

सुबह

"है नयी सुबह, है नए दिन की नयी शुरुआत,

उम्मीद है दिल में, शायद हो कुछ नयी बात,

कल मन व्याकुल था, आज आहत है दिल भी,

हे तिमिरारी, दूर करो मेरे ये स्याह हालात !"

जिंदगी

समझा जिंदगी होती है समझौतों का खेल,

माना जिंदगी होती है रिश्तों का तालमेल,

हमने तो तालमेल की समझौतों से, फिर क्यूँ,

जाना जिंदगी होती है बस एक अंतहीन जेल.


उदास

 "पता नहीं मुझे भी क्यूँ मन मेरा उदास है,

लोग शायद ये सोच रहे कि हुआ ये देवदास है,

खुदा ने किस्मत नजर कि थी मेरी जिंदगी को

जिंदगी ग़मगीन है, किस्मत नहीं मेरे पास है"

याद

तमाम उम्र जलते रहे हम बस उनकी ही याद में,

उन्होंने हमारा नाम तक ना लिया अपनी फरयाद में.

असली जेवर

  शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद   भोलाराम को सहसा ही आया याद कि मधु - चंद्र का...