Tuesday, August 24, 2010

शादी करा दो

मेरे मित्र भाई बनवारी लाल, 
हरदम रहते हैं बड़े बेहाल
चेहरे पे परेशानी हरपल हैरान,
बहुत कम दिखती उनके होठों पे मुस्कान
सारांश में आप समझ ही गए होंगे,
बनवारी हैं एक आम शादीशुदा इंसान

पर बनवारी शादी से पहले ऐसे न थे,
चूसे हुए आम के जैसे न थे
उनके चहरे पे भी रहती थी बहार,
हरदम खिलती थी हंसी की बयार
पर उनके पाणिग्रहण ने जुल्म ढाया,
चमकते चंद्रमुख पर ग्रहण छाया.
शाहरुख़ के समान उनकी थी खूबसूरत काया 
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम ने ए के हंगल बनाया.

फिर भी जब कभी वो मुझे मिल जाते हैं
शादी कर लो की रट लगाते हैं.
कहते हैं अपना बैंड बाजा जल्दी बजबाओ,
पछताना ही है तो लड्डू खा के पछताओ
बोलते हैं पत्नी होती है लक्ष्मी का रूप,
खिला देगी जीवन में सुनहरी धूप
कदम पड़ते ही दुनिया संवर जाएगी,
अरे जिंदगी खुशियों से भर जाएगी


मैं बोला बनवारीजी आँखें खोलो अपनी,
और छोडो बेगम का पल्लू
ये लक्ष्मियाँ हैं माना, पर आपको समझती हैं
ये अपना वाहन उल्लू

बनवारी बोले शादी तो पवित्र बंधन है,
सेवा करने साथ निभाने का वचन है
मैं बोला आज खून के रिश्ते भी हो गये हैं फिज़ूल,
और जब यहाँ अपने माँ बाप को ही जाते सब भूल,
फिर कौन भला जिंदगी भर साथ निभाता है,
आधुनिक राम वनवास को अकेले ही जाता है.
भई हम कुंवारों की चिंता में ऊर्जा मत गवाओं,
करानी है तो कुछ अहम् शादियाँ कराओ


मिलन कराओ पहले भूखे का रोटी के साथ,
अधनंगो के फेरे कराओ साडी धोती के साथ
राजा का निकाह करा दो जिम्मेवारी से,
प्रजा का विवाह कराओ ईमानदारी से
दुखी चेहरों का मिलन करा दो मुस्कान से,
पहले इंसानियत की शादी कराओ इंसान से

आज इनका एक दूसरे से हो गया है तलाक,
और इसी कारण हमारा देश हो रहा है खाक
पहले इनका मिलन कराओ ये शादियाँ जरुरी हैं,
हमारी तुम्हारी शादी तो समझौता है मज़बूरी है.

15 comments:

  1. shubhan...allahhhhhh...

    kya likh rahe ho....bhai...

    bilkul...aag..aag....
    continue..

    vikas

    ReplyDelete
  2. Dhanyavad vikas bhai,

    meri ye rachna September 2006 ki hai (obviously meri shadi ke pahle ki)

    ReplyDelete
  3. Deepak I just loved it .... a vital point with a perfect dose of laughter :) :)

    ReplyDelete
  4. दीपक भाई

    अच्छा लिखा है आपने. वैसे भी जर जोरू जमीन भाई को भाई का दुश्मन बनाने में महती भूमिका निभाते हैं
    :)

    ReplyDelete
  5. WRITE something over mp's pay hike drama.....in context of austerity.............

    vikas.....

    ReplyDelete
  6. I was thinking about it actually bahi.........

    good suggestion. let me see....

    ReplyDelete
  7. बेहद सटीक और वैभवपूर्ण प्रदर्शन है आपके कवित्व मन में उठते हुए समस्याओं के प्रति ज्वार का. पूरे एक सांस में पूरी कविता पढ़ डाली. शुरू से अंत तक रोचकता कायम थी. इसके लिए साधुवाद. आगे और भी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी...

    ReplyDelete
  8. धन्यवाद राजीव भाई.

    ReplyDelete
  9. bahut sundar aur bahut hee rochak likhaa hai aapne...hashya vyang ke saath saath samaaj ki jaroorat ko samaaj se milaa diya hai... insaaniyat ko insaan se milaane ki kavaayad hai........behtreen..

    ReplyDelete
  10. verry good....... dil khush ho gaya bhya aur kuch likho in ladkiyo ke bare mein taki hamare kaleje ko aur thandak pade.

    ReplyDelete
  11. Btfl, hasya ras bhi n a very important message for society, actually nice

    ReplyDelete
  12. कविता लेखन अति उत्तम और आप द्वारा कविता पाठ तो उम्दा है भाई साहब

    ReplyDelete

your comment is the secret of my energy

असली जेवर

  शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद   भोलाराम को सहसा ही आया याद कि मधु - चंद्र का...