पंडितजी सुबह से छींक छींक कर थे हैरान परेशान
होश उड़ गए थे, कुछ भी नहीं था उन्हें भान,
बदन दुःख रहा था पूरा, आँखों से आ रहा था पानी
कब का भूल चुके थे जिसे, याद आ गयी उनको वो नानी.
क्या हुआ कैसे हुआ, इस सोच में उलझे थे बेचारे
लग गया डॉक्टर का चक्कर, दिख गया दिन में ही तारे,
नब्ज टटोला डॉक्टर ने और आँख मुंह का जाँच किया
और फिर जो बोला तो उनके ऊपर वज्रपात किया.
"पंडितजी ये आपको कैसे इस बीमारी ने जकड़ा
लगता है आपको तो स्वाइन फ्लू ने है पकड़ा,
पर चिंता मत करो अभी तो रोग की शुरुआत है
आप पूरी तरह ठीक हो जायेंगे बस दो दिन की बात है.
बस मैं जो दवाएं दे रहा हूँ आप उसे खाइए
पर ये रोग हुआ आपको, कैसे ये हमें बताइए,
ख़बरें देखते नहीं क्या आप, सावधानियों का रखना है ख्याल
भीड़ भाड़ वाले इलाकों में बंधना है मुंह नाक पर रुमाल.
हरेक शक सुबहा वाले व्यक्ति से छह फीट की दूरी रखना जरुरी है
और ऐसे में छुआ-छूत का पालन करना हमारी मज़बूरी है"
पंडितजी बोले- "मैंने तो सावधानियां बरती सारी हैं
वो सभी उपाय करता हूँ जिसकी मुझे जानकारी है,
और फिर छुआ-छूत का ध्यान रखना तो मज़बूरी नहीं मेरा धर्म है
डॉक्टर साहब, इसका पालन करना तो हमारा नित्य कर्म है.
पूजा पाठ भक्ति भाव मेरा धर्म मेरा ज्ञान है
अपना धर्म कैसे पवित्र रखना है इसका मुझे भान है"
डॉक्टर ने बीच में ही टोका- "खोखला है आपका ज्ञान सारा
विकास की दौड़ में आप जैसों के कारण ही पीछे है भारत हमारा,
अगर छुआ-छूत भेद भाव को आप मानते अपना धर्म है
तो आप एक भारतीय हो इसपे भी मुझे शर्म है.
जाति धर्म और भाषा के आधार पर हम आपस में अंतर रखते हैं
और फिर भी विश्व महाशक्ति बनने का दिवास्वप्न देखते हैं,
मेरे इक्कीसवीं सदी के भारत की हालत आज पस्त है
क्यूंकि शिक्षित वर्ग की आधी आबादी भी छुआ-छूत के रोग से ग्रस्त है.
आप स्वाइन फ्लू को भूल जाओ ये तो मामूली बीमारी है
पर मैं आपको ठीक नहीं कर सकता, आपको तो भयंकर महामारी है".
pandit g ne kya kahin hai!!!! nick bichar ba....
ReplyDeletevikas
धन्यवाद विकास भाई. बस आप मित्रों के प्रोत्साहन पर ही अपने मन के विचारों को लेखनीबद्ध कर रहा हूँ.
ReplyDeleteDeepak good you wrote on this one evil of our society ... we have many more such petty issues to deal with.
ReplyDeletegreat!!
ReplyDeletethanks Gautam bhai.
ReplyDeleteyes nwaz, we have many more issues to ponder upon....
बहुत खूब सर।एक-2 पंक्ति बेहतरीन है।हास्य व्यंग्य तो है ही साथ-2 इसमें एक सन्देश भी है जो आज के वर्तमान को परिदर्शित करती है।बहुत खूब।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई.
ReplyDelete