Sunday, March 29, 2020

कदर

दर्द सीने में रखा, आंखों में कभी आब न आये
सवाल सब मेरे खुद से थे, पर जवाब न आये
थी कदर इतनी दिल को तेरे एक ऐतराज की
रतजगा करते रहे हम कि तेरे ख्वाब न आये.


[आब = पानी]

असली जेवर

  शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद   भोलाराम को सहसा ही आया याद कि मधु - चंद्र का...