सबको सुनानी है,
खुद की बतानी है,
तुझे टीस कितनी
सुने कौन हाल.
चेहरे ये स्मित,
अधरें वो मुस्कित,
छिपा जाती अक्सर
दिल का भूचाल.
खुशियों की खोज में,
स्वप्न हुये अतिशय,
नयनों की नगरी में
नींद का अकाल.
मुद्दे अनसुलझे हैं,
प्रश्नकर्ता एकाकी,
उत्तर की खोज में
खुद भटके सवाल.
सब कुछ अनंतिम,
अंत ही सत्य है,
शेष बस मिथ्या
माया का जाल.
न तुमको खबर,
न मुझे है पता,
भेंट कौन आखिरी
कब किसका काल.
"अभी वक्त काफी",
"समय बहुत है",
सोच मत ऐसा
रह जाता मलाल.
चार ही तो दिन हैं,
बूझ के न ज़ाया कर,
ज़िंदगी है जीने की
इसको बस जी डाल.
खुद की बतानी है,
तुझे टीस कितनी
सुने कौन हाल.
चेहरे ये स्मित,
अधरें वो मुस्कित,
छिपा जाती अक्सर
दिल का भूचाल.
खुशियों की खोज में,
स्वप्न हुये अतिशय,
नयनों की नगरी में
नींद का अकाल.
मुद्दे अनसुलझे हैं,
प्रश्नकर्ता एकाकी,
उत्तर की खोज में
खुद भटके सवाल.
सब कुछ अनंतिम,
अंत ही सत्य है,
शेष बस मिथ्या
माया का जाल.
न तुमको खबर,
न मुझे है पता,
भेंट कौन आखिरी
कब किसका काल.
"अभी वक्त काफी",
"समय बहुत है",
सोच मत ऐसा
रह जाता मलाल.
चार ही तो दिन हैं,
बूझ के न ज़ाया कर,
ज़िंदगी है जीने की
इसको बस जी डाल.