Sunday, July 24, 2011

उम्मीद


इतनी चोट खाके भी मोहब्बत से अभी डरा नहीं है,
टूटा तो है कई बार, पर दिल अभी बिखरा नहीं है.


ओ रात थोड़ा रुक जा ऐ चाँद ज़रा ठहर जा,
प्यास अभी बुझी नहीं, दिल अभी भरा नहीं है.


सुलह करते है तुझसे यही सोच के हर बार,
कि तेरे अंदर का इंसान अभी मरा नहीं है.


तेरे दीदार के बिना हम तो कब के मर गये होते
शुक्र है ख्वाबों की मुलाकात पे अभी पहरा नहीं है.


घर की रोशनी ही चली गयी है तेरे जाने से,
रात ढल गयी है, पर चाँद अभी उतरा नहीं है.


बिना जात-धर्म जाने अपना बना लेता है,
दिल ये पगला है बड़ा, अभी सुधरा नहीं है.


तुझसे बिछुड़के हर नशा छोड़ दिया मैनें,
दर्द-ए-ग़म के नशे सा अभी दूसरा नहीं है.

Monday, July 18, 2011

हक़ीकत

ये उसकी बेरूख़ी में दीवानापन है मेरा
या कि सावन में अंधी हैं मेरी आँखें,
चाहे कोई भी तस्वीर हो रखी सामने
मुझे बस उसी का अक्स दिखता है.


पहली नज़र का प्रेम हो गयी बीती बात
किस्सा है अब ये तो समझ बुद्धि का,
ठोकर लगी जब तो अकल आयी हमें
प्यार सौदा है और दिल बिकता है.


व्यापार की चालें ना सीख पाए हम
तो इसमें दोष क्या है भला औरों का,
ख़लल ना पड़ जाए जमाने के जश्न में
ये सोच मेरा दिल बेआवाज़ चीखता है.


चाहत नहीं थी हमारी उन्हें ऐसा ना था
पर और भी चाहतें अहम थी कई सारी,
उनकी सोच को भी ग़लत कैसे कह दूं
नाव कागज का बारिश में कहाँ टिकता है.


कभी सोचता हूँ कि ये सुबह अंधेरी क्यूँ है
कभी देखता हूँ कि ये शाम सुनेहरी क्यूँ है,
अब यही कह के बहलाता हूँ पागल मन को
किस्मत सब का खुदा पहले से लिखता है.

Sunday, July 17, 2011

प्रार्थना

हे ईश्वर मुझे इतनी शक्ति देना

कि भयंकर झंझावात में भी मैं

अपने पैरों पर खड़ा रह सकूँ,

हे ईश्वर मुझे इतनी उँचाई देना

कि मुट्ठी में तारे पकड़ के भी

धरातल से मैं जुड़ा रह सकूँ.

दर्द

उसकी नज़रों को मेरा इंतेजार होता

शायद मैं कभी इस काबिल ही ना था.

पर दर्द भी था दिल को बिछूड़ने का

उससे जो कभी हमें हासिल ही ना था.

असली जेवर

  शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद   भोलाराम को सहसा ही आया याद कि मधु - चंद्र का...