Thursday, November 10, 2022

मुरादें


वो दिन, वो लम्हे जब बीते साथ खुशियों के

उन्हें जब सोचता हूं तो यादें भींग जाती हैं !


वो जो पास होता है, हर दर्द भूल जाता हूं

वो अपनत्व पाता हूं कि आंखें भींग जाती हैं !


दिलों में प्रेम उमड़े तो दबाये दब नहीं पाता

शब्द खामोश रहते हैं पर बातें भींग जाती हैं !


जब हो कोई ग़म की शाम और वो हो उदास

दिल जलता है मेरा और रातें भींग जाती हैं !


कहीं तो सारी दलीलें भी यूंही जाया होती हैं

यहाँ निगाहें बोलती हैं जज्बातें भींग जाती हैं !


गले का हार, आँखों में प्यार और अधरों पे बहार

ये मेल सराबोर है ऐसा, मुलाकातें भींग जाती है ! 


कोई भी खुशी शेष ना रहे कभी जिंदगी में, 

इस दुआ में मेरी हर मुरादें भींग जाती हैं !

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