कभी मीठी तो कभी कसैली सी है
ये बंद मुट्ठी भी खाली हथेली ही है
प्रश्न इसके तू कितने भी हल कर ले
ज़िन्दगी थी पहेली, पहेली ही है.
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अंधेरी रातों में भी बस उजाले लिखेंगे
चाहे सुबहा तक जलके हम काले दिखेंगे
जगमगाता दीपक तो है ज़माने के लिये
झांक अंदर तो फिर दिल के छाले दिखेंगे.
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अक्ल ने कहा मत देख, फिर भी हमने देख लिया
दिल ने चाहा देख तो दिल का सुनके, देख लिया
इश्क मोहब्बत पागलपन है ऐसा दुनिया कहती थी
समझदारी से ऊब गया तो पागल बनके देख लिया.
Bahut badhiya 👏
ReplyDeleteThanks a lot 🙏
DeleteBohot sundar likha hai....👏👏👏
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DeleteThank you very much
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