बिसात शतरंज की, बूझो तुम दांव को,
मिर्चियाँ आँखों में, मत दिखा घाव को,
बोलियाँ लगती आज तीर-तलवार पर,
भाव मिलता नहीं, अब प्रेम-भाव को।
छोड़ दे भोलापन, भूल जा गाँव को,
लहरें विकराल हैं, थाम ले नाव को,
क्या पता है कहाँ पे छुपा जलजला,
रखना देख भाल के तुम यहाँ पांव को।
जोड़ ले दिल से दिल, तोड़ ठहराव को,
अश्क अनमोल है, रोक इस बहाव को,
स्वार्थ ने है किया तुझको मुझसे अलग,
कर ले आलिंगन, छोड़ अलगाव को।
पुण्य पावन चरण, भूखे बर्ताव को,
रोये उनका ह्रदय, देख बदलाव को,
सर पे बूढी जो डाली न भाये तुझे,
कल तरसोगे तुम ठंडी सी छाँव को।
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ReplyDeleteWah wah, maza aa gaya
ReplyDeleteThanks a lot. It's great motivation.
Deleteबहुत ख़ूब ....कविता दिल को छू गई
ReplyDeleteBahut achha
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