नींद को सपनों से तो सब लोग सजाते,
ख्वाब खुली आँखों में पले तो और बात है !
आवाज से आवाज तो कुँए भी मिलाते,
संग तेरे कदम भी चले तो और बात है !
कहीं नारे, कहीं धरने, कहीं कैंडल जलाते,
खून आँखों से जो उबले तो और बात है !
हसीनों की अदाओं पे हम मरते औ मिटाते,
दिल देश की खातिर मचले तो और बात है !
पाठ ईमान-धरम का वो सबको हैं पढ़ाते,
आगाज खुद से हो पहले तो और बात है !
ग़दर की राह क्यूँ बस औरों को ही दिखाते,
'आजाद' तेरे घर से निकले तो और बात है !
ख्वाब खुली आँखों में पले तो और बात है !
आवाज से आवाज तो कुँए भी मिलाते,
संग तेरे कदम भी चले तो और बात है !
कहीं नारे, कहीं धरने, कहीं कैंडल जलाते,
खून आँखों से जो उबले तो और बात है !
हसीनों की अदाओं पे हम मरते औ मिटाते,
दिल देश की खातिर मचले तो और बात है !
पाठ ईमान-धरम का वो सबको हैं पढ़ाते,
आगाज खुद से हो पहले तो और बात है !
ग़दर की राह क्यूँ बस औरों को ही दिखाते,
'आजाद' तेरे घर से निकले तो और बात है !
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