"उल्फत मेरे दिल की, तेरे सामने होठों से खुला ही नहीं,
तेरी आँखों को चाहत थी मेरी, तूने कभी कबूला ही नहीं,
हमारी और तुम्हारी खामोश मुहब्बत में फरक इतना है,
तुम्हे हम याद ही नहीं और तुझे मैं कभी भूला ही नहीं !"
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"ईमारत बुलंद थी प्रेम की कभी, खुला आज भी दिल का दरवाजा है,
रंग गहरा था इश्क का कभी, अहसास आज भी प्यार का ताजा है,
ख्वाबों और यादों में भी अब तो मुलाकात अपनी होती नहीं 'दीपक',
भूल गए तुम मुझको सनम या फिर मेरी उम्र का तकाजा है !"
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The poems r very emotional and touching, gr8 work keep it up
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