Thursday, July 20, 2023

फिर मुझे मिलना !


तेरे ख़्वाब ऐसे क्यूं भटकते रहते हैं, 

हो एक ठिकाना, फिर मुझे मिलना ! 

सिकंदर होगे तुम पर उलझे हुये हो, 

खुद सुलझ जाना, फिर मुझे मिलना ! 

समझते हैं तेरी नज़रों को यार

जानते हैं उन निगाहों को भी, 

बदन तक आती हैं लौट जाती हैं

दिल तक पहुंच जाना, फिर मुझे मिलना! 

____________________


हमदिली कहीं नहीं, हाँ नज़रिया बहुत है

प्यासी आंखों में आंसू का दरिया बहुत है

बगिया, गलियां, दिल, ख़त, फोन, ख़्वाब

तू इरादा तो कर, मिलने का जरिया बहुत है

___________________


दर्द दफ़्न हो जाते होठों पे ही, समात नहीं होती, 

मसर्रत हासिल यह अपने ही सौगात नहीं होती, 

जिनसे गूफ़्तगू होती है उनसे कह ही नहीं सकते

जो दिल के करीब लगता उससे बात नहीं होती.

____________________


दिल में तेरे क्या है, तू क्यूं जान पाता नहीं?

जानता है जो फिर मुझे क्यूं बतलाता नहीं?

तेरे कशमकश ने बडा़ कलेश कर रखा है, 

रहना नहीं है तो छोड़कर क्यूं जाता नहीं?

____________________


काश मुझे भी हो, ये तेरी जुबां से निकलता है

इश्क की बात पे ही आह अरमां से निकलता है

बस नाम सुनते ही ये तन में गरमी आती है ना

कर के देख पसीना कहाँ कहाँ से निकलता है.

___________________


क्या कहा? वो दिल का बुरा नहीं 

यार, लोगों को क्या मालूम? 

ओ अच्छा! नीयत में ज़फा नहीं

यार, लोगों को क्या मालूम?

दिल के करीब होगे तुम यार

लोग तो परखेंगे बर्ताव पर ही ना

उसका दिल आम रास्ता तो नहीं

यार, लोगों को क्या मालूम?

__________________


No comments:

Post a Comment

your comment is the secret of my energy

असली जेवर

  शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद   भोलाराम को सहसा ही आया याद कि मधु - चंद्र का...