इश्क को दिमाग की कसौटी पे तौलने की जरूरत क्या है
प्रेम- शहद में समझ का नमक घोलने की जरूरत क्या है
कहते हैं जहां मोहब्बत हो भरपूर, निगाहें बात करती हैं
प्यार में गर कोई कमी नहीं तो बोलने की जरूरत क्या है.
सुकूने खामोशी टूट जाती है जब लफ़्ज़ बात करते हैं
लफ़्ज़ों से खामोशियों को टटोलने की जरूरत क्या है.
तेरी नीरवता ही जब सब कुछ बयां कर रही हो यार
फिर मेरी चुप्पी के राज़ खोलने की जरूरत क्या है.
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