Tuesday, September 6, 2022

तेरी याद आती है

 

होंठों की जो वो रौनक तुम्हारे साथ जाती है

आंखों में ये चमक तेरे आने के बाद आती है

मुस्कान यूं फीकी पड़ी जो तेरे दरस के बिन

खुशी का ज़िक्र होता है तो तेरी याद आती है !


ये मीठा दर्द दिल का तेरे इश्क की मोहलत है

नूर ये चेहरे का मेरा भी तुम्हारे ही बदौलत है

तू मेरी नहीं है और न कोई हक मेरा तुम पर

तेरी मूरत जो दिल में है वो बस मेरी दौलत है !


फकीरी कितनी भी सच्ची हो अमीरी जीत जाती है

प्यार और मोहब्बत सदा ही रईसी से मात खाती है

किस्सा आज का ही नहीं, धरा का है ये सदियों से

शशि के इश्क की ना कद्र, चक्कर रवि के लगाती है !


तबियत मिली ऐसी संग धारा बहना ही नहीं भाया

सोहबत ही रही ऐसी भीड़ में रहना ही नहीं आया

काबिलियत सारी पायी थी हमने कामयाब होने की

बात बस इतनी थी ढंग से झूठ कहना भी नहीं आया !


तय ठिकाना तेरा, तू वहीं जायेगा

आंखों के आगे फिर तू नहीं आयेगा

अपने सीने में घर जो बनाया तेरा

अब यहां से तो वो न कहीं जायेगा !


खुशी न देख जिसकी, मुस्कान मेरा रूठ गया

रतजगे उसके देख, मेरा नींद से नाता छूट गया,

फिर भी मांगा मुझसे उसने वादा जो भरोसे का

खुद अपने पर से ही तब, भरोसा मेरा उठ गया !


यूं ना किसी की नींद, किसी का चैन तुम्हें हरना था

प्यार साथ तो था तेरे, क्यूं किसी और पे मरना था,

जो पूछा उसने सवाल तो बताओ क्या गलत पूछा

पगले तुम्हें ज़रा तो सोच समझकर इश्क करना था !






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