कोई एक रास्ता इख़्तियार करो
सवाल करो या कि ऐतबार करो!
सवाल करो या कि ऐतबार करो!
जुदा तो नहीं है अपुन में कुछ भी
तुम में नहीं मुझे हम में शुमार करो!
आखिर बिखरना ही तो है एक दिन
करो तो फिर टूट कर प्यार करो!
दस्तरखान पे सिर्फ मीठे से क्या मजा
जानू झूठा सही थोड़ा तो तकरार करो!
इश्क में करते हो शर्तों की तुम बात
इससे अच्छा यार तुम व्यापार करो!
मालूम है मेरे हिस्से नहीं ये खुशियाँ
दिल फिर भी कहे थोड़ा इंतजार करो!
हालात को लेकर उनको जो कोसते हो
अपना काम तुम भी तो बरखुरदार करो!
ये सूरत पर फिदा, तो वो सीरत पर घायल
लफ़्ज़ों की खूबसूरती का भी दीदार करो!
इत्र के वजूद पर महकाते हो जो तुम खुद को
मुस्कान रख होठों पे, खुशबू भरा किरदार करो!
रगों में फिरते जवानी से वाकिफ़ तो हो
मेरी उम्र का जिक्र ना यूं बार बार करो!
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