शादी के कुछ तीन चार महीने के बाद
जब थोड़ा थम गया मन का उन्माद
भोलाराम को सहसा ही आया याद
कि मधु-चंद्र का लिया ही नहीं स्वाद
बस झट-पट से करके फिर तैयारी
और पहुँच गये वो दोनों कन्याकुमारी
मौसम, पर्यटन, दर्शन और भ्रमण
सुहाना था समय, सुखद था क्षण
तभी कुछ ऐसा एक दस्तूर हुआ
स्वप्न-महल सब चकनाचूर हुआ
छाई वहाँ घटायें आसमान हुआ काला
इंद्रदेव ऐसे बरसे कि सबको धो डाला
बारिश के बाद भोलाराम थे भौंचक और मौन
पास खड़ी मैडम से पूछा बहनजी आप कौन
हुआ क्या अजूबा भोलाराम जान नहीं पाये
सग़ी पत्नी को ही बेचारे पहचान नहीं पाये
बरसात ने सारी लीपापोती को उतार फेंका था
और पत्नीजी को बिना मेकअप आजतक नहीं देखा था
हम पाउडर क्रीम से मुखड़े का रंग सजाते हैं
बोटोक्स लेज़र से झुर्रियों को छुपाते हैं
Pedicure, Manicure सब कुछ करते हैं सर्च
खाने से ज़्यादा तो सँवरने पे करते हैं खर्च
डाइयेटिंग और जिम से एक किलो घटाते हो साल में
अरे मेकअप हटाओ पांच किलो कम कर लो तत्काल मे
महंगे परफ्यूम इत्र से बदन को महकाते हैं
बालों की चांदी छुपाने के लिये डाई कराते हैं
कितने बाल सफेद हो गये कितने बचे काले
क्यूं केश हैं रूखे से या क्यूं हैं बाल घुंघराले
हजार तरकीबें तुमने बालों के लिये कर डाले
यार बिना बाल के भी लगते हम कितने निराले
ये उमर ये झुर्रियाँ नहीं थकाती हैं चेहरे को
मुस्कान ही खूबसूरत बनाती है मुखड़े को
आनंद बनाती है तन सुंदर और मन जवान
बाकी सब कुछ है मिथ्या, भ्रम और अज्ञान
छोड़ो हज़ारों तिकड़म और लाखों के कलेवर
बस याद रखो कि है मुस्कान असली जेवर
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