Saturday, December 7, 2024

दीपक

हर कदम चोट लगी यूं कि चलना भूल गए

अजनबी लगा जो ज़माना, मिलना भूल गए 

अपनी उम्मीदों पर खरे उतरना मुश्किल है

इतनी बार बुझे हैं कि अब जलना भूल गए 

1 comment:

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