तेरी आंखों के रंग पढ़ के
मधुर अनुराग में पड़ के
कुछ ख्वाब सुहाने गढ़ के
फिर दिल उड़ने चला है !
मन की उमंगें जान कर
तुम को अपना मान कर
इस रिश्ते को पहचान कर
आज दिल उड़ने चला है !
कोई अपना जब भी रुठा था
एक साथी भी कहीं छूटा था
मासूम ये रोया था, टूटा था
वही दिल उड़ने चला है !
न ऊंचाई का कोई ज्ञान है
न हवाओं के रुख का भान है
ज़रा सोचो कितना नादान है
फिर भी दिल उड़ने चला है !
हौसले भी तो तेरे झुके से थे
तरंगें भी तो कब से रुके से थे
कदम भी तो कितने थके से थे
करामात कि दिल उड़ने चला है !
ग़म के बादल यूं भागे हैं
अरमां कुछ क्यूं जागे हैं
न जाने अब क्या आगे है
जब दिल उड़ने चला है !
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