मेरे आंखों के वो सुर्ख अहसास
उन्हें पढ़ने को अपनी अमिट आस
लेकर मेरे करीब न आ पाओगे कल
सच में तब बहुत याद आएंगे ये पल
दिल में रखी हर बात जो संभाल के
सामने बैठ यूं आंखों में आंखे डाल के
ना सुना पाउंगा ये बातें, कविता, ग़ज़ल
हां तब बहुत याद आएंगे ये पल
मुझे देख आंखों की वो मासूम चमक
और तुम्हें देख चेहरे की जाहिर रौनक
तेरी मुस्कान, हंसी, शरारत, वो चुहल
सीने से लगा कर रखे हैं सारे ये पल
तेज सांसों में वो धड़कन का डेरा
और गले में उन मंजुल बांहों का घेरा
अधरें वो ललित, मधुर, मृदुल, निश्छल
कितने अनमोल खजानें दे गये ये पल
बिन कहे जो दिल की सुन ली हर सदा
कैसे शुक्रिया कर सकता भला मैं अदा
ख्वाबों में गढ़े थे जो खूबसूरत महल
सोचा भी न था सच होंगे कभी ये पल
जब भी कभी होंगे कुछ दर्द भरे मौसम
आंखें होंगी नम और दिल में होंगे ग़म
छायेंगे जब भी दुश्वारियों के घने बादल
तब मेरा हौसला मेरी ताकत होंगे ये पल
No comments:
Post a Comment
your comment is the secret of my energy