वो दिन, वो लम्हे जब बीते साथ खुशियों के
उन्हें जब सोचता हूं तो यादें भींग जाती हैं !
वो जो पास होता है, हर दर्द भूल जाता हूं
वो अपनत्व पाता हूं कि आंखें भींग जाती हैं !
दिलों में प्रेम उमड़े तो दबाये दब नहीं पाता
शब्द खामोश रहते हैं पर बातें भींग जाती हैं !
जब हो कोई ग़म की शाम और वो हो उदास
दिल जलता है मेरा और रातें भींग जाती हैं !
कहीं तो सारी दलीलें भी यूंही जाया होती हैं
यहाँ निगाहें बोलती हैं जज्बातें भींग जाती हैं !
गले का हार, आँखों में प्यार और अधरों पे बहार
ये मेल सराबोर है ऐसा, मुलाकातें भींग जाती है !
कोई भी खुशी शेष ना रहे कभी जिंदगी में,
इस दुआ में मेरी हर मुरादें भींग जाती हैं !